इस जिंदगी की दौड़ में,
आगे बढ़ने की होड़ में कितना कुछ पीछे छूट गया,
वक़्त हमसे हमको लूट गया,
साँझ ढले जब सांस भर आई,
कुछ मुरझाये फूलोँ की खुशबू फिर याद आई,
इस दौड़ में जब भी कदम लडखडाये,
वही जाने पहचाने कंधे आगे आये,
साँसे चलती रही मेरी लेकिन मैं जीना भूल गया ,
Presented By:- Azim Uddin