Friday, January 11, 2013

Mother Is Door to Heaven

माँ की दवाई का खर्चा, उसे मज़बूरी लगता है

उसे सिगरेट का धुंआ, जरुरी लगता है ||


फिजूल में घूमता , दोस्तों के साथ इधर-उधर

बगल के कमरे में, माँ से मिलना , मीलों की दुरी लगता है ||

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वो घंटों लगा रहता है, फेसबुक पे अजनबियों से बतियाने में

अब माँ का हाल जानना, उसे चोरी लगता है ||


खून की कमी से रोज मरती, बेबस लाचार माँ

वो दोस्तों के लिए, शराब की बोतल, पूरी रखता है ||


वो बड़ी कार में घूमता है , लोग उसे रईस कहते है

पर बड़े मकान में , माँ के लिए जगह थोड़ी रखता है ||


माँ के चरण देखे , एक अरसा बीता उसका ...

अब उसे बीवी का दर, श्रद्धा सबुरी लगता है ||


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आपकी सेवा में: अज़ीम उद्दीन

4 comments:

Sumit said...

Thats True Dude!!

Use poojti hai duniya
Jo na de dikhayi
.
.
.
.
.
Maa ko poojta na koi
Jisne yeh duniya dikhayi.....

Unknown said...

माँ के चरण देखे , एक अरसा बीता उसका ...
अब उसे बीवी का दर, श्रद्धा सबुरी लगता है ||
माँ की दवाई का खर्चा, उसे मज़बूरी लगता है
उसे सिगरेट का धुंआ, जरुरी लगता है ||

Unknown said...

Right and true idea dear,

we about to forget our enthusiasm about mother..

bookmydoctor said...

अतिसुंदर

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